होम्योपैथी ने कोविड में दिखाई अपनी उपयोगिता, नजरिया बदलने की जरूरत। सेंट्रल काउंसिल फॉर रिसर्च इन होम्योपैथी (सीसीआरएच), आयुष मंत्रालय के साथ काम करते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) ने होम्योपैथी के प्रति नया दृष्टिकोण अपनाने का प्रस्ताव दिया है। डब्लूएचओ ने होम्योपैथी कालेजों में शिक्षण की गुणवत्ता तथा मानदण्ड तय करने की सलाह दी है। वह होम्योपैथी का उपयोग एक सहायक चिकित्सा पद्धति के रूप में आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के साथ करने के पक्ष में है।
इंटरनेशनल (3डी वर्चुअल) हेल्थ एंड वेलनेस एक्सपो एण्ड कान्फरेंसेस-020 के दूसरे दिन पीएचडी चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ने होम्योपैथी इन पैंडेमिक टाइम्स एंड बियॉण्ड पर एक तकनीकी सत्र का आयोजन किया। हैल्थ मंत्रा इसका मीडिया पार्टनर रहा। सीसीआरएच के महानिदेशक प्रभारी डॉ अनिल खुराना, बैकसन्स ड्राग एंड फार्मास्यूटिकल्स के चेयरमैन सह प्रबंध निदेशक डॉ एसपीएस बख्शी, दक्षिण दिल्ली होमियोपैथिक संगठन के उपाध्यक्ष डॉ आरएन वाही एवं एमिटी यूनिवर्सिटी के डायरेक्टर प्रो. सत्येन्द्र के राजपूत ने इस सत्र को संबोधित किया।
डॉ अनिल खुराना ने बताया कि डब्लूएचओ सीसीआरएच के साथ मिलकर होम्योपैथी कालेजों में शिक्षा के स्तर एवं मानदण्डों पर काम कर रहा है। उन्होंने इस बात की भी सराहना की है कि राष्ट्रीय शिक्षा पद्धति इसे सुनिश्चित करेगी की आधुनिक चिकित्सा के विद्यार्थियों को भारतीय चिकित्सा पद्धति की भी जानकारी प्रदान की जाए।
उन्होंने कहा कि मौजूदा महामारी ने पूरे विश्व को अपनी चपेट में ले लिया है। स्पैनिश फ्लू महामारी के दौरान होम्योपैथी की भूमिका का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि इस महामारी के दौरान भी चिकित्सा की इस पद्धति ने अपनी उपयोगिता साबित की है। मौजूदा महामारी इसलिए भिन्न है कि यह वृद्धों तथा अन्य रोगों से ग्रसित लोगों के लिए काल बन कर आया है। उन्होंने बताया कि काउंसिल ने शासन को एक वैज्ञानिक परामर्श भेजा है तथा इस दिशा में अनुसंधान जारी है। उन्होंने बताया कि होम्योपैथी ने कुछ मरीजों के ठीक होने में मजबूत भूमिका निभाई है।
डॉ खुराना ने बताया कि सीसीआरएच कई प्रकार के शोध कर रहा है, बहुकेन्द्रीय अध्ययन कर रहा है, क्लिनिक ट्रायल ले रहा है तथा अन्य संस्थानों, निजी अस्पतालों तथा आयुष इंडस्ट्री से अपने शोध को साझा कर रहा है। उन्होंने बताया कि बिना साइड इफेक्ट के अनेक रोगों का इलाज करने में होम्योपैथी अपनी भूमिका साबित कर चुका है। उन्होंने कहा कि होम्योपैथी को शिक्षा पद्धति में शामिल करना चाहिए तथा इसके लिए मापदंड भी निर्धारित किये जाने चाहिए। उन्होंने दिल्ली, पंजाब, गुजरात सहित अन्य राज्य सरकारों द्वारा अपने पुलिस फोर्स को मुफ्त में होम्योपैथी दवा के वितरण की चर्चा करते हुए कहा कि इससे उन्होंने संक्रमणकाल से जूझने में काफी मदद मिली है।
डॉ एसपीएस बख्शी ने कहा कि आधुनिक चिकित्सा पद्धति के साथ साथ होम्योपैथी को भी एक सहायक चिकित्सा पद्धति के रूप में अनुमति दी जानी चाहिए। उन्होंने अपने स्वयं का अनुभव साझा करते हुए कहा कि सर गंगाराम अस्पताल में उन्होंने होम्योपैथी की दवा आधुनिक दवाओं के साथ लेने की इजाजत दी गई जिससे वे केवल तीन दिन में ही ठीक होकर लौट आए। उन्होंने कहा कि साधारण उपसर्गों वाले कोविड पेशेन्ट्स को ठीक करने में होम्योपैथी पूरी तरह सक्षम है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार को होम्योपैथी परिवार के संवर्धन के लिए कदम उठाने चाहिए। साथ ही इस इंडस्ट्री के लिए कुछ कायदे बनाए जाने चाहिए।
प्रो. सत्येन्द्र के राजपूत ने हालिया गाइडलाइंस की विवेचना करते हुए कहा की एमिटी यूनिवर्सिटी जल्द ही सीसीआरएच के साथ एक एमओयू करने जा रहा है तथा दोनों मिलकर होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति को आगे ले जाएंगे।पीएचडी चैम्बर के प्रिंसिपल डायरेक्टर विवेक सीगेल ने औपचारिक धन्यवाद ज्ञापन किया।